टैग : समर्पण कर दीजिए

बाँधकर मत रखिए, बहने दीजिए

हम उन भावनाओं को छिपातें हैं जिन्हें हम स्वीकार नहीं करना चाहते हैं, हम यह स्वीकार नहीं करना चाहते हैं कि हम विफलता या आलोचना से डरते...

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